चार जुलाई को सोएंगे देव, नहीं होंगे मांगलिक कार्य
By - Shivraj Dhusariya
शादी-ब्याहसमेत सभी मांगलिक कार्यों पर 4 जुलाई से विराम लग जाएगा। यह विराम चार महीनों तक रहेगा। देव इस दिन शयन के लिए चले जाएंगे। 30 अक्टूबर के बाद देव उठेंगे, इसके बाद मांगलिक कार्य शुरु हो सकेंगे। ज्योतिष के अनुसार 4 जुलाई से मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी। यह रोक 31 अक्टूबर देव उठनी ग्यारस से हटेगी। धर्मशास्त्र की मान्यता ज्योतिषी गणना चक्र के मान से आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक पक्ष की एकादशी तक भगवान विष्णु का शयनकाल माना गया है। इस साल 30 अक्टूबर तक शयनकाल होकर 31 अक्टूबर को देव उठनी ग्यारस रहेगी। शास्त्रों के अनुसार इस अवधि में शुभ कार्यों पर प्रतिबंध रहेगा। ज्योतिषविदों का कहना है कि देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन से भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां चार मास का पहरा देते हैं।
सूर्यहो जाएंगे दक्षिणायन
देवशयनीएकादशी के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाते हैं। ऐसे में मुंडन, उपनयन, भवन निर्माण, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार नहीं होते हैं। देवउत्थान पर शुभ कार्य के लिए मुहूर्त की जरूरत नहीं होती। इस दिन सभी कार्य शुभ होते हैं। इस बार 31 अक्टूबर को देव उत्थान एकादशी है। इस दिन सभी शुभ कार्य किए जा सकते हैं। शास्त्रोंके अनुसार इस अवधि में शुभ कार्यों पर प्रतिबंध रहेगा। भगवान विष्णु के शयन काल के दौरान ही चातुर्मास भी प्रारंभ हो जाएंगे। इस चातुर्मास अवधि में देवी-देवताओं की आराधना, तपस्या, हवन, पूजन का दौर रहेगा। इससे आमजन को साधु-संतों, सत्संग धार्मिक गतिविधियों का लाभ मिलेगा। तीन महीने से शादी-ब्याह के चलते गुलजार रहने वाले शहर की बाजारों की रौनक खत्म हो जाएगी। हालांकि इस दौरान अन्य धार्मिक अनुष्ठान, सत्संग, कथाएं, पूजन और यज्ञ-पूजन के कार्यक्रम होते रहेंगे।
बाजारमें कारोबार रहेगा मंदा
देवशयनीएकादशीके बाद शादियों का सीजन थम जाएगा। इससे सभी बाजारों में खरीद घटने से दैनिक कारोबार मंदा रहेगा। हालांकि बीच में रक्षाबंधन पर्व पर कुछ कारोबार बढ़ेगा। कारोबारियों के अनुसार शादियों के सीजन में सराफा, कपड़ा, किराना, फर्नीचर और इलेक्ट्रानिक्स बाजार का दैनिक कारोबार लाखों रुपए का था, जो कम हो जाएगा।